**भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय**
भारतेंदु हरिश्चंद्र
(Bhartendu Harishchandra)
**भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय**
**भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 1850 में काशी वाराणसी के एक समृद्ध एवं प्रसिद्ध परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम गोपाल चंद्र था और इनका उपनाम गिरिधरदास था।
यह ब्रज भाषा में कविता लिखते थे। मात्र 10 वर्ष की अवस्था में ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी । भारतेंदु हरिश्चंद्र की शादी 13 वर्ष की अल्पायु में ही मनऩो देवी के साथ कर दी गई थी।
.इनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने घर पर ही हिंदी, उर्दू, बांग्ला, एवं अंग्रेजी का अध्ययन किया। काशी के कवींस कॉलेज में प्रवेश लेने के बावजूद इनका मन अध्ययन की जगह काव्य रचना में ही लगा रहा। मात्र 5 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने निम्न दोहा लिखकर अपने भविष्य की अखिल घोषणा कर दी थी। काव्य रचना की अतिरिक्त इनकी रूचि यात्राओं में भी थी। भारतेंदु उदार एवं दानी प्रकृति के व्यक्ति थे।
अत्यधिक उदारता के कारण ही इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई और यह ऋणग्रस्त हो गए उसी तनाव के कारण ही रोगों के शिकार हो गए और अत्यधिक तनाव रहित होने और रोगों के शिकार होने के कारण मात्र 35 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया था
अपने छोटे से जीवन काल में भी इन्होंने हिंदी की जो सेवा की है उनके लिए इन्हें सदैव स्मरण किया जाएगा
**इनकी मृत्यु सन 1885 ईस्वी में हुई थी ।**
.भारतेंदु हरिश्चंद्र ने निबंध नाटक यात्रा व्रत आदि विद्याओं में गद्य रचना की जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय है
1. .नाटक------इनके बहुत से नाटक प्रमुख है।
1. सत्य हरिश्चंद्र
2. नील देवी
3.. भारत दुर्दशा
4. अंधेरी । 5. नगरी, 6. सती प्रताप आदि।
2. इतिहास-----कश्मीर कुसुम, महाराष्ट्र देश का इतिहास, अग्रवालो की उत्पत्ति,
3. निबंध-संग्रह-------सुलोचना, परिहास वंचक, मदालसा, दिल्ली दरबार दर्पण, लीलावती आदि।
4. यात्रा--वृतांत------'सरयू पार की यात्रा', 'लखनऊ की यात्रा'
5. जीवनी------'सूरदास', 'जयदेव', 'महात्मा मुहम्मद आदि.
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