**रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय**
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(Aacharya Ramchandra Shukl)
**रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय**
.आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म बस्ती जिले की अगोना नामक गांव में 1864 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्रबली शुल्क था । 4 वर्ष की अवस्था में यह अपने पिता के साथ राठ जिला हमीरपुर चले गए और वहीं इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई।
1892 ईस्वी में इनकी उनके पिता की नियुक्ति मिर्जापुर सदर में कानूनगो के पद पर हुई। फिर वह भी अपने पिता के साथ मिर्जापुर चले गए और 1921 में उन्होंने मिशन स्कूल में फाइनल परीक्षा उत्तरीन करने के उपरांत प्रयाग के कायस्थ पाठशाला इंटर कॉलेज में नाम लिखवाया। किंतु गणित में कमजोर होने के कारण इंटर की परीक्षा नहीं दे सके । मिर्जापुर में पंडित केदारनाथ पाठक एवं बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन के संपर्क में आकर इन्होंने हिंदी साहित्य के अध्ययन को बल दिया।
यहीं पर इन्होंने हिंदी के साथ-साथ उर्दू संस्कृत एवं अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। कुछ दिनों के लिए अपने मिशन हाई स्कूल में ड्राइंग मास्टर के पद पर काम किया। 1909 ईसवी में हिंदी शब्द सागर के लिए दैनिक सहायता के रूप में काशी आ गए।
कुछ समय तक 'नागरी प्रचारिणी सभा' पत्रिका का भी संपादन किया और उनकी नियुक्ति काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी अध्यापक के रूप में हो गई और वही 1937 ईस्वी में विभागाध्यक्ष हो गए।
सांस का दौरा होने के कारण 2 फरवरी 1941 ईस्वी में उनका देहांत हो गया।
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रचनाए---शुक्ल जी ने हिंदी साहित्य की महान सेवा की प्रसिद्ध निबंधकार निष्पक्ष आलोचक श्रेष्ठ इतिहासकार और सफल संपादक थे उनकी रचनाएं का विवरण निम्न प्रकार से हैं
निबंध----शुक्ल जी ने भाव मनोविकार तथा समीक्षात्मक दोनों प्रकार से निबंध की रचना की इन के निबंधों के संग्रह 'चिंतामणि' तथा 'विचार वीथी' नाम से प्रकाशित हुए।
आलोचना---शुक्ल जी आलोचना के के सम्राट है। 1. रसमीमांसा, 2. त्रिवेणी ,3. सूरदास।
संपादन----उन्होंने 'जायसी ग्रंथावली' 'तुलसी ग्रंथावली' 'हिंदी शब्द सागर' 'काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका 'और 'आनंद कादंबरी' का कुशल संपादन किया।
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