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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिंदी संबंधित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न , Some multiple choice questions related to Hindi part 2

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बहुविकल्पीय प्रश्न  Multiple choice questions हिंदी संबंधित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न Some multiple choice questions related to Hindi 1. 'लहरों के राजहंस' के लेखक कौन है ?   A.  राय कृष्णदास   B. मोहन राकेश   C. भारतेंदु हरिश्चंद्र   D. रामचंद्र शुक्ल 1. Who is the author of 'The Flamingo of the Waves'?   A. Rai Krishnadas   B. Mohan Rakesh   C. Bharatendu Harishchandra   D. Ramchandra Shukla 2. 'सूत पुत्र नाटक' के रचनाकार कौन है ?   A. विष्णु प्रभाकर   B. हरि कृष्ण प्रेमी   C. डॉ गंगासहाय प्रेमी   D. जयशंकर प्रसाद 2. Who is the creator of 'Sutra Natak'?   A. Vishnu Prabhakar   B. Hari Krishna lover   C. Dr. Gangasayi Lover   D. Jaishankar Prasad 3. 'लहरों के राजहंस' कृतिका संबंध गध कि किस विद्या से हैं ?   A. नाटक     B. स्मरण    C.आत्मकथा    D. रचना 3. 'Waves of Flamingo' is related to which discipline of Gadh?   A. Drama   B. Recollection   C. Autobiography   D. Composition 4. हिंदी का प्रथम नाटक कौन सा है ?   A.  सती प्रताप    B. आजाद शत

बहुविकल्पीय प्रश्न Multiple choice questions ।। हिंदी संबंधित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न ।। Some multiple choice questions related to Hindi ( part 1)

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  बहुविकल्पीय प्रश्न  Multiple choice questions हिंदी संबंधित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न Some multiple choice questions related to Hindi 1.  नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की है ?   A. रामचंद्र शुक्ल ने   B. श्यामसुंदर दास ने   C. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने   D. बालमुकुंद गुप्त ने 1. Nagari Pracharini Sabha is established?   A. Ramchandra Shukla   B. Shyamsunder Das   C. Hazari Prasad Dwivedi   D. Balmukund Gupta 2. वीरगाथा काल के  कवि कौन है ?   A. श्यामसुंदर दास   B. सदाखुश लाल   C. राय कृष्णदास   D. चंद्रवरदाई 2. Who is the poet of Virgatha period?   A.  Shyam Sundar Das   B. Sadakhush Lal   C. Rai Krishnadas   D. Chandravardai 3.  आधुनिक गद्य का जनक किसे कहा जाता है. ?   A. डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी को   B. रामचंद्र शुक्ल को   C. भारतेंदु हरिश्चंद्र को   D. श्यामसुंदर दास को 3. Who is called the father of modern prose. The   A. Dr. Hazari Prasad Dwivedi   B. Ramachandra Shukla   C. Bharatendu Harishchandra   D. Shyamsunder Das 4. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित पत्रिका का नाम

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय (Biography of Dr. Rajendra Prasad)

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 डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय  ( Biography of Dr. Rajendra Prasad) . जीवन परिचय.    Life introduction.     डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म कब हुआ था   -----  डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के छपरा जिले के जीरादेई गांव में 1884 ईसवी में हुआ था। इनकी बचपन से ही हिंदी में रुचि थी। कोलकाता विश्वविद्यालय से इन्होंने  M.A.तथा M.L. की परीक्षा उत्तीर्ण की। मेधावी छात्र होने के कारण इन्होंने दो परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इन्होंने मुजफ्फर में एक कॉलेज में कई दिनों तक अध्यापन का कार्य किया। तथा अध्यापन का कार्य करने के पश्चात इन्होंने 1920 ईस्वी में वकालत छोड़ कर पूर्णतया देश सेवा में लग गए। When Dr. Rajendra Prasad was born ----- Dr. Rajendra Prasad was born in 1884 AD in Jiradei village of Chhapra district, Bihar. He was interested in Hindi since his childhood. From Kolkata University, he did M.A. and M.L. Passed the test of. Being a brilliant student, he got first place in two exams. He worked for several days teaching in a college in

महाकवि भूषण का जीवन परिचय . Biography of Mahakavi Bhushan।।Articles ।। in English and Hindi..

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  महाकवि भूषण  Mahakavi Bhushan महाकवि भूषण जीवन परिचय Biography of Mahakavi Bhushan वीर रस के सर्वश्रेष्ठ  महाकवि भूषण   का जन्म 1613 ईसवी में कानपुर (उत्तर प्रदेश )के त्रिविक्रमपुर (तिकवापुर) गांव में हुआ था।इनके पिता का नाम पंडित रत्नाकर त्रिपाठी था।  हिंदी के प्रसिद्ध कवि चिंतामणि त्रिपाठी और मतिराम इनके भाई थे। इनके वास्तविक नाम के विषय में अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है। Bhushan, the best Mahakavi of Veer Ras, was born in 1613 AD in Trivikrampur (Tikavapur) village in Kanpur (Uttar Pradesh). His father's name was Pandit Ratnakar Tripathi. Famous Hindi poets Chintamani Tripathi and Matiram were his brothers. The subject of his real name has not been properly known yet. चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्रदेव ने इनकी काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर इन्हें कवि भूषण की उपाधि से अलंकृत किया था। तभी से यह भूषण के नाम से प्रसिद्ध हो गए। अनेक राजाओं के आश्रय में रहने वाले कवि भूषण को मनोनुकूल आश्चर्यदाता दो ही मिले--छत्रपति महाराजा शिवाजी और वीर केसरी बुंदेला राजा छत्रसाल। बाद में यह शिवा

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय. Sumitranandan Pant's life introduction

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  सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय Sumitranandan Pant's life introduction . जीवन परिचय ---- सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी ग्राम में 14 मई 1900 में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित गंगा दत्त पंथ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्रारंभ की तथा इन्होंने अल्मोड़ा ,काशी, और प्रयाग में भी शिक्षा प्राप्त की। Life Introduction ---- Sumitranandan Pant was born on 14 May 1900 in Kausani village of Almora district. His father's name was Pandit Ganga Dutt Panth. He started his primary education in the village itself and he also got education in Almora, Kashi and Prayag. सुमित्रानंदन पंत बंगला ,अंग्रेजी ,एवं संस्कृत के अच्छे ज्ञाता थे। इनकी रचनाओं पर स्वामी रामतीर्थ, विवेकानंद, रविंद्र नाथ ठाकुर, अरविंद आदि महापुरुषों के जीवन दर्शन की गहरी छाप पड़ी है। यह बचपन से ही प्रकृति के सुरम्य अंचल में रहने के कारण इनमें प्रकृति के  प्रति अटूट आकर्षण है। सुमित्रानंदन पंत अत्यंत ही सुंदर,भावुक एवं सरल हॄदय के व्यक्ति थे। Sumitranandan Pant was a great knowledgeer of Benga

**कविवर बिहारी का जीवन परिचय**

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  कविवर बिहारी **कविवर बिहारी का जीवन परिचय** कविवर बिहारी का जन्म 1603 ईसवी में ग्वालियर राज्य के बसुआ गोविंदपुर नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम केशव राय था, जिन्हें मथुरा का चौबे ब्राह्मण माना जाता था।बिहारी ने निंबार्क संप्रदाय के अनुयाई स्वामी नरहरिदास से संस्कृत प्राकृत आदि भाषाओं का अध्ययन किया था। महाराज जयपुर नरेश के दरबारी कवि बिहारी ने एक-एक दोहे में अनेक भावों को  इतनी सरलता पूर्वक भर दिया कि इन्हें गागर में सागर भरने वाला महाकवि माना जाने लगा। " सतसैया के दोहरे, ज्यो नावक के तीर।  देखन में छोटे लगै, घाव करे गंभीर।।" सन 1663 ईसवी में इनका स्वर्गवास हो गया था। कृतियां ----- कविवर बिहारी ने 700 से कुछ अधिक दोहे की रचना की है जिनका संग्रह बिहारी सतसई के नाम से जाना जाता है। अलंकार, नायिका भेद, प्रकृति वर्णन ,भाव विभाव, अनुभाव, संचारी भाव आदि सभी का समावेश कुल 48 मात्राओं के एक छोटे से छंद दोहे में भर कर इन्होंने काव्य कला का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया है। एकमात्र ग्रंथ 'बिहारी सतसई' लिखकर इन्हें जो प्रसिद्धि मिली वह किसी भी कवि के लिए बहुत बड़ा सम्मा

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय

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  गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) **गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय** **तुलसीदास का जन्म 1532 ईसा पूर्व में राजापुर (बांदा जिला) के सरयूपारीण ब्राह्मण कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे था। तथा उनकी माता का नाम हुलसी देवी था। बचपन के कुछ दिनों बाद ही इनकी माता की मृत्यु हो जाती है। और इनके पिता इनके अद्भुत नेत्र होने के कारण इनका त्याग कर देते हैं। इसी दशा में इनकी भेंट रामानंदी संप्रदाय के साधु नरहरिदास से होती है साधु नरहरिदास इन्हें अपने साथ ले जाते हैं तथा भिन्न-भिन्न तीर्थों का भ्रमण कराते हैं कुछ समय के पश्चात तुलसीदास स्वामी जी के साथ काशी आ जाते हैं। जहां परम विद्वान महात्मा से सनातन जी ने इन्हें वेद ,वेदांत, दर्शन इतिहास पुराण आदि में निष्णात किया था। तुलसीदास का विवाह रत्नावली से हुआ था। जिनके रूप पर यह अत्यधिक आसक्त थे। पत्नी की एक व्यंग्य से आहत होकर यह सन्यासी हो जाते हैं और काशी आ जाते हैं लगभग 20 वर्षों तक इन्होंने समस्त भारत का भ्रमण करते हैं और यह काशी, अयोध्या ,कभी चित्रकूट और कभी काशी में निवास करते हैं।  काशी में ही 1623 ईसवी. अस्सी घाट पर इनका निधन

**सूरदास का जीवन परिचय**

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  सूरदास (Surdas) **सूरदास का जीवन परिचय** हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाने वाले तथा कृष्ण भक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित राम दास सारस्वत तथा आगरा के निकट रुनकता  गांव में जन्मे सूरदास वात्सल्य के क्षेत्र में विश्व साहित्य में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि सूरदास जी जन्म से अंधे थे। कुछ का यह मानना है कि वे जन्म से अंधे नहीं थे, वे कहते हैं कि प्रकृति का बाल मनोविकृतिओं का और मानव स्वभाव का जैसा सुंदर संजीव सूक्ष्म एवं मनोहारी वर्णन सूरदास ने किया है।  वैसा कोई जन्मांध व्यक्ति कभी नहीं कर सकता संत कबीर दास को बचपन से ही पद एवं काव्य लिखने का बहुत ही शौक थाएक बार यह गाय को चराते हुए हुए पद की व्याख्या कर रहे थे तभी वहां आ रहे वल्लभाचार्य ने उनके पद को सुना और महाप्रभु वल्लभाचार्य ने भक्त सूरदास को गोवर्धन पर्वत पर स्थित शिव मंदिर में अपने आराध्य श्री नाथ की सेवा में कीर्तन करने के लिए नियुक्त किया और कुछ समय तक संत सूरदास जी ने गोवर्धन पर्वत पर ही कीर्तन किया अपने 105 वर्ष सुदीर्घ जीवन काल में सवा लाख पद रचने वाल

***संत कबीर दास का जीवन परिचय***

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  संत कबीर दास (Sant Kabir Das) ***संत कबीर दास का जीवन परिचय*** संत कबीरदास का जन्म  पूर्णिमा सोमवार 1398 ईसवी को माना जाता है। इनका जन्म कुछ इस प्रकार से हैं। '' चौदह सौ पचपन साल गए ,चंद्रबार एक ठाठ ठए। '' " जेठ सुदी बरसात को ,पुनर्वासी प्रकट करें।" हालांकि कुछ अन्य विद्वान जैसे श्यामसुंदर, दास हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल आदि 1456 ईसवी को ही कबीर का जन्म  स्वीकार करते हैं (मानते हैं) एक जनश्रुति के अनुसार इनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ था इनकी माता विधवा ब्राह्मणी ने लोक लाज के भय से इन्हें काशी के लहरतारा नामक स्थान पर एक तालाब के किनारे छोड़ दिया थी।। जहां से नीरू नामक एक जुलाहा एवं उसकी पत्नी  नीमा निसंतान होने के कारण इन्हें उठा ले जाते हैं।  कबीर का कथन है। "काशी में हम परगट भाई रामानंद चेताये।" इससे इनके जन्म स्थान और गुरु का पता चलता है। इनकी पत्नी का नाम लोई था।  तथा पुत्र कमाल एवं पुत्री कमाली थी।  मस्त मौला एवं निर्भीक प्रवृत्ति के कबीर व्यापक देशाटन एवं अनेक साधु-संतों के संपर्क में आने के कारण बड़े ही सारग्राही एवं प्रतिभाशाली

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय

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  रामवृक्ष बेनीपुरी (Ramvriksh benipuri) रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय  रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 1902 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम कुलवंत सिंह था। वह एक साधारण किसान थे। बचपन में ही माता पिता की मृत्यु हो जाने से मौसी ने इनका लालन-पालन किया। वर्ष 1920 ईस्व में इन्होंने अध्ययन छोड़ दिया और गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। इन्होंने स्वाध्याय के बल पर ही हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 'विशारद' परीक्षा उत्तीर्ण की। देश सेवा करते हुए  अनेक वर्षों तक जेल की यात्राएं सहनी पड़ी ।  वर्ष 1968 ईस्वी में इनका स्वर्गवास हो गया था साहित्य योगदान ----- बेनीपुरी जी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व में उच्च देशभक्त, मौलिक साहित्यिक प्रतिभा और अथक समाज सेवा की भावना का अद्भुत समन्वय था। कृतियां -----इनमें साहित्य की ओर रुचि रामचरित्रमानस के अध्ययन से जागृत हुई। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।  बालक, तरुण ,भारतीय युवक, किसान मित्र ,कैदी ,योगी ,जनता ,हिमालय, नई धारा ,चुन्नू मुन्नू आदि । रामवृक्ष बेनीपुरी जी की प्रमुख कृतिया

**राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय**

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राहुल सांकृत्यायन (Rahul sankrityan) **राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय** . हिंदी के महान उपासक राहुल सांकृत्यायन का जन्म 1893 ईस्वी में ग्राम पनदहा , जिला आजमगढ़ में हुआ था। इनका जन्म इनके नाना पंडित रामशरण पाठक के यहां हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित गोवर्धन पांडे था। जोकि एक कट्टरपंथी ब्राह्मण थे।  इनकी माता का नाम कुलवंती देवी था। वह सरल एवं सात्विक विचारों की महिला थी। इनके पिता पंडित गोवर्धन पांडे ने इनका बचपन का नाम केदार पांडे रखा था।  बाद में बौद्ध धर्म में आस्था होने के कारण इन्होंने महात्मा बुद्ध के पुत्र के नाम पर अपना नाम 'राहुल' रख लिया। संस्कृति गोत्र होने के कारण यह राहुल सांकृत्यायन कहलाए । वाराणसी में इन्होंने संस्कृत की उच्च शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता चाहते थे कि यह  आगे पढ़े पर इनका मन कहीं और था इनकी इस प्रवृत्ति का कारण इनके नाना थे जो  सेना में सिपाही  थे और उन्होंने दक्षिण भारत की खूब यात्रा की थी ।इनके नाना द्वारा बचपन में पढ़े गए एक शेर (श्लोक )ने इनके मन में यात्रा प्रेम को अंकुरित कर दिया इस्माइल मेरठी का यह शेर इस प्रकार था        'सैर कर दुनिया