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आसियान क्या है ? इसका उद्देश्य क्या है ? भारत किस प्रकार आसियान से संबंधित है

आसियान क्या है ? इसका उद्देश्य क्या है? भारत किस प्रकार आसियान से संबंधित है। एशिया और तीसरी दुनिया के देशों में एकता बनाए रखने के प्रयास के कारगर नहीं होने के कारण एशियाई देशों ने दक्षिण पूर्वी एशियाई संगठन आसियान बनाकर एक वैकल्पिक कहा लिखिए 1967 में 5 एशियाई देश ने बैंकॉक घोषणा पर हस्ताक्षर कर आसियान की स्थापना की इंडोनेशिया मलेशिया फिलीपींस सिंगापुर एवं थाईलैंड इसके संस्थापक देश है आसियान के निम्नलिखित तीन मुख्य स्तंभ है। 1. आसियान सुरक्षा समुदाय -- यह आसियान देशों के मध्य विवाद को खत्म कराने और सैनिक टकराव तक नया जाने की सहमति पर आधारित है।  2.    आसियान आर्थिक समुदाय --- इसका उद्देश्य आसियान देशों को साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस इलाके में सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायता करना है। 3. आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय --- इसका औचित्य आसियान देशों के बीच सामाजिक व सांस्कृतिक मेल मिलाप की स्थापना करना है। इसके अलावा आसान समुदाय के निम्नलिखित उद्देश्य है -- आसियान का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास कोचिंग करना और इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना है।

मार्शल योजना क्या थी समझाइए

  मार्शल योजना क्या थी समझाइए । 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं की बर्बादी झेलने  के साथ-साथ उन मान्यताओं और व्यवस्था को ध्वस्त होते हुए भी देखा जिन पर यूरोप खड़ा हुआ था । 1945 के बाद यूरोप के देशों में मेल मिलाप को शीत युद्ध से भी मदद मिली । अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत अधिक मदद किए इसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है। अमेरिका ने नाटो के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया मार्शल योजना के तहत 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई । इसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई यह एक ऐसा मंच बन गया जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों में व्यापार और आर्थिक मामलों में एक दूसरे की मदद शुरू की 1949 में गठित यूरोपिय परिषद राजनैतिक सहयोग के मामले में एक अगला कदम साबित हुआ यूरोप के पूंजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ी और इसके परिणाम स्वरूप 1957 में यूरोपीय इकोनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ। यूरोपीयन पार्लियामेंट के गठन के बाद इस प्रक्रिया ने राजनीतिक स्वरूप प्राप्त कर

शीत युद्ध के दौरान कौन-कौन से संकट आए समझाइए

  शीत युद्ध के दौरान कौन-कौन से संकट आए समझाइए शीत युद्ध के दौरान अनेक संकट सामने आए क्यूबा मिसाइल संकट इनमें से एक था शीत युद्ध के दौरान खूनी लड़ाई भी हुई हालांकि इन संकटों और लड़ाई ओ की परिणति तीसरे विश्व युद्ध के रूप में नहीं हुई दोनों महाशक्तिशाली कोरिया 1950 से 1953 वर्ल्ड इन 1958 से 1962 कांगो 1960 के दशक की शुरुआत और उसके अन्य जगहों पर सीधे-सीधे मुठभेड़ की स्थिति में आ चुकी थी संकट गहराता गया क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष बिछड़ने के लिए तैयार नहीं था जब हम शीत युद्ध के दायरे की बात करते हैं तो हमारा आशिया ऐसे अ क्षेत्रों से होता है जहां विरोधी खेमों में बटे देशों के बीच संकट के अवसर आए युद्ध हुए या इनके होने की संभावना बनी लेकिन बातें एक सीमा से ज्यादा नहीं बड़ी कोरिया वियतनाम और अफगानिस्तान जैसे कुछ क्षेत्रों में व्यापक जनहानि हुई लेकिन विश्व परमाणु युद्ध से बचा रहा और वैमनस्य विश्वव्यापी नहीं हो पाया कई बार ऐसे अवसर आए जब दोनों महाशक्ति के बीच राजनयिक संवाद जारी नहीं रह पाया और इससे दोनों के बीच गलतफहमियां बड़ी  । ऐसे कई मौके आए जब शीत युद्ध के संघर्षों और कुछ गहन संकट को ट

शॉक थेरेपी क्या है संक्षिप्त में समझिए

शॉक थेरेपी क्या है संक्षिप्त में समझिए  सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण के लिए एक विशेष मॉडल अपनाया विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को शो थेरेपी आघात पहुंचा कर उपचार करना कहा गया, शॉक थेरेपी से सबसे मुख्य पहलू था निजी स्वामित्व का होना शॉक थेरेपी के द्वारा राज्य की संपदा के निजीकरण अर्थात तथा व्यावसायिक ढांचे को उसी समय अपनाने की बात की गई जिसके द्वारा सामूहिक फार्म को निजी फार्म में बदला गया और पूंजीवादी पद्धति से खेती प्रारंभ की गई । अधिक से अधिक व्यापार कर के विकास के लिए मुक्त व्यापार को अपनाया गया पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तीय खुलापन तथा मुद्राओं का आपसी परिवर्तन भी महत्वपूर्ण है इस संक्रमण काल में साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर सक्रमल करने का यह तरीका सही नहीं था क्योंकि साम्यवादी व्यवस्था के स्थान पर पूंजीवादी व्यवस्था को तुरंत कायम कर देने से यह व्यवस्था असफल रही क्योंकि जनता को साम्यवादी व्यवस्था की आदत पड़ चुकी थी वह 72 साल के साम्यवाद में जीते आ रहे

क्यूबा का मिसाइल संकट क्या था इसके प्रमुख घटनाकर्म

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  क्यूबा का मिसाइल संकट क्या था इसके प्रमुख घटनाकर्म सोवियत संघ के नेताओं को अप्रैल 1961 में यह चिंता सता रही थी। कि अमेरिका सामने वादियों द्वारा शासित युवा पर आक्रमण कर देगा ।  और इस देश के राष्ट्रीय फिडेल का कास्त्रो का खतरा हो जाएगा। क्यूबा अमेरिका के तट से लगा हुआ एक छोटा सा द्वीपीय देश है।। क्यूबा का जुड़ाव सोवियत संघ से था और सोवियत संघ उसे कूट न्यायिक तथा वित्तीय सहायता देता था । सोवियत संघ के नेता निकिता ने कई युवा को रूस के सैनिक अड्डे के रूप में बदलने का फैसला किया 1962 में सोवियत संघ के नेता ने को युवा पर परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमेरिका नजदीकी निशाने की सीमा में आ गया हथियारों की इस तैनाती के बाद सोवियत संघ पहले की तुलना में अब अमेरिका के प्रमुख भूभाग के लगभग दोगुना ठिकाने या शहरों पर हमला कर सकता था। क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा परमाणु हथियार तैनात करने की भनक अमेरिका को 3 हफ्ते बाद लगी अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी और उनके सलाहकार ऐसा कुछ भी करने से हिचकी चाह रहे थे जिससे दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध शुरू हो जाए लेकिन वे इस बात क